रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Sunday 18 September 2016

घुमण जी आ वेला

भोर का तारा के लिए चित्र परिणाम

खुली अखि दिठो मूँ, दिसे प्यो सितारो
असुर जो दरीअ खाँ,दे प्यो सितारो

घुमण जी आ वेला, विहाणो छदे दे
उथी बाग में हलु, चवे प्यो सितारो

धिके हंधु परिते हल्या पेर मुहिंजा
त गदु मूँसाँ हू पिणि हले प्यो सितारो

बगीचे अँदरि प्राण दींदड़ि हवा में
पखिनि साँ बि गाल्हियूँ करे प्यो सितारो

ट्रिड़णु गुल-कलिनि जो ऐं झिरकिनि जो गाइणु
निहारे खुशीअ साँ ट्रिड़े प्यो सितारो

सुबुह थ्यो, जिएँ कल्पना सूर्जु जाग्यो
दिठुमि पए सुम्हण लइ वञे प्यो सितारो



 -कल्पना रामानी 

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