वधंदड़ि विथी मिटायूँ साथी।
अचु
गदिजी गाल्हायूँ साथी।
रुस्यल
हुजाँ माँ, या कि रुसें तूँ
हिक
बिए खे परिचायूँ साथी।
तुहिंजो-मुहिंजो, चई छो पहिंजे
सुख
में सेंध लगायूँ साथी।
सोरे
चुभंदड़ कंडा, सेज ताँ
गुलिड़ा
छो न विछायूँ साथी।
सिक
जी लोली दई रात खे
सुपिना
सुठा सदायूँ साथी
प्रेम-दिये
जी लौ जिएँ भभके
वेढ़ि
जी वटि छो वधायूँ साथी।
दिल्यूँ
मिलनि जहिंसाँ, हिक बिए
खे
अहिड़ी
ग़ज़ल बुधायूँ साथी।
ओरे
अचु त दिलिनि जा ‘कल्पना’
मुंझल सगा सुलझायूँ साथी।
-कल्पना रामानी
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