पाणु
किथि गोल्हियाँ, अंदर में तूँ ही तूँ आँ।
जिस्मु
आ बाहिर,
जिगर
में,
तूँ
ही तूँ आँ।
दिल
दई थें दूरि नज़रुनि खाँ अचानक
पर
दिसाँ जादे नज़र में, तूँ ही तूँ आँ।
ख्वाब
थी हैरानु प्या मोटनि, जदहिं खाँ
पए
दिठऊँ,
हिन
ख्वाबघर में तूँ ही तूँ आँ।
धार
थ्यूँ पल में रुसी, साथिनि जूँ यादियूँ
याद
पल-पल हर पहर में, तूँ ही तूँ आँ।
दिल
नथी थे,
देव
पूज्याँ,
कहिं
मंदर में
देव!
मुहिंजे मन-मंदर में, तूँ ही तूँ आँ।
कल्ह
अकेली माँ हुयमि,
शामिलु मगर अजु
‘कल्पना’ जीवन-सफर में, तूँ ही तूँ आँ।
-कल्पना रामानी
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